चार मैदानी जिलों में 25 विधानसभा सीटों पर किसानों का असर
सियासी जानकारों के मुताबिक किसान आंदोलन उत्तराखंड की 25 विधानसभा सीटों पर आने वाले चुनावों में असर डाल सकता है. बेशक अभी तक उत्तराखंड में किसान आंदोलन का असर पर्वतीय जिलों में नहीं है, लेकिन मैदानी और तराई वाले हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में आंदोलन का असर है.
हरिद्वार जिले में शहर को छोड़कर बाकी सभी सीटें किसान बहुल हैं, देहरादून में चार, ऊधमसिंह नगर में नौ व नैनीताल में तीन सीटें हैं.
हरिद्वार जनपद में 11 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से आठ भाजपा के कब्जे में हैं. इनमें हरिद्वार शहर को छोड़कर बाकी सभी सीटें किसान बहुल हैं.
देहरादून जनपद में 10 सीटें हैं, इनमें से ऋषिकेश, डोईवाला, सहसपुर और विकासनगर विधानसभा सीटें किसान बहुल हैं
ऊधमसिंहनगर जनपद की सभी विधानसभा सीटें किसान बहुल है. इसी तरह नैनीताल जिले की लालकुआं, हल्द्वानी और कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्रों में किसानों का प्रभाव है.
अर्थ एवं संख्या विभाग के आँकड़ों के मुताबिक़ राज्य के तीन जिलों में किसानों की संख्या है
देहरादून में 60,373
हरिद्वार में 87,950
ऊधमसिंह नगर में 94,677
प्रदेश में कुल किसान : 19,45,674
70 विधानसभा सीटों वाले राज्य उत्तराखंड की 25 सीटें किसान आंदोलन से प्रभावित हैं,बाक़ी बची 45 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस-भाजपा के बीच काँटे की टक्कर होने वाली है. आम आदमी पार्टी भी अपनी उपस्थिति इस चुनाव में दर्ज करवाएगी.
यहाँ यह भी गौरतलब है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में महँगाई,बेरोज़गारी,कोरोना की दूसरी लहर में हुआ नुक़सान भी ज्वलंत मुद्दे रहेंगे. सत्तारूढ़ भाजपा को इन मुद्दों पर जवाब देना पड़ेगा वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस महँगाई,बेरोज़गारी के मसले को प्रमुखता से उठाएगी. आम आदमी पार्टी भी इन मामलों में जमकर तड़का लगाएगी. हालात और प्रदेश की चुनावी आबोहवा बता रही है कि महँगाई,बेरोज़गारी और कोरोना जैसे बर्निंग इशू चुनाव में बड़ा उलटफेर करने वाले हैं.