चुनावों में नुक़सान की आशंका सहित पाँच कारणों से वापस हए कृषि क़ानून
बीते लगभग एक बरस से चल रहे किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार का यू टर्न अचानक नहीं हुआ है बल्कि ऐसी पाँच वजह हैं जिनकी वजह से केंद्र सरकार न सिर्फ पीछे हटी बल्कि प्रधानमंत्री मोदी को आगे आक़र कहना पड़ा कि तीनों कृषि कानून वापस होंगे..
यूपी, उत्तराखंड, पंजाब विधानसभा चुनाव पहली वजह है. भाजपा को यह अहसास हो गया था और अंदरूनी रिपोर्ट बता रही थीं कि खासकर पश्चिम यूपी में मजबूत किसान आंदोलन से जाट वोट छिटकने का है खतरा है
दूसरा कारण हाल ही में हुए उपचुनावों में झटका है. हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में करारी शिकस्त से हुआ केंद्र सरकार को जमीनी स्तर पर नाराजगी का अहसास हो गया, खुफ़िया इनपुट में उत्तर भारत में पार्टी को बड़ा नुक़सान होने अंदेशा जताया गया था
तीसरी वजह बहुचर्चित लखीमपुर कांड है जिसमें किसानों पर कार चढ़ाने की घटना से भाजपा की काफ़ी बदनामी हुई है. घटनास्थल पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के पुत्र की मौजूदगी और गोलियां चलाने की भी पुष्टि होने से लगातार किरकिरी हो रही है.
चौथा कारण पार्टी के भीतर अपनों का बढ़ता विरोध है. मणिपुर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने तो किसानों के मामले में सीधा मोर्चा ही खोला हुआ था और पार्टी सांसद वरुण गांधी ने भी समय-समय पर हमला बोला.
पाँचवा कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि को धक्का है. किसान आंदोलन की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार की छवि को धक्का लगा. कई देशों ने तो सार्वजनिक तौर पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं.
इन्हीं सब वजहों के कारण पिछले लगभग बीस दिनों से चल रहे मंथन के बाद तीनों कृषि क़ानून वापस लेने का ऐलान प्रधानमंत्री को करना पड़ा है.